गुजरात राज्य में सर्वांगीण विकास समृद्धि की मूल जड़ औद्योगिक क्षेत्र है। उद्योग के बिना किसी भी राज्य का विकास अधूरा है। वर्ष १९९२ में सरकार द्वारा सभी बड़े बड़े उद्योगपतियों के ऊपर नये नये कानून लगाया साथ ही साथ छोटे छोटे उद्योगों को सबसे अधिक प्रोत्साहन दिया। परिणाम स्वरूप देश से निर्यात पर काफी प्रभाव पड़ा। छोटे छोटे उद्योगों की फेक्ट्री की क्वालिटी प्रोडक्शन बेहतरीन होने के लिए नई आधुनिक वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी में कमजोर पाये गये और कानून की जबरदस्त पकड़ से बड़ी बड़ी मीलों की हालत बिगड़ती गई। बेहतरीन क्वालिटी प्रोडक्शन के साथ देश पिछड़े दर्जे पर आ गया। लगभग सभी मीलों की हालत गंभीर होती गई। और आज मफतलाल टाटा जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों की हालत बिगड़ी और बहुत सारे युनिट बंद हो गई। आज भी छोटे छोटे उद्योगों की हालत कुछ ज्यादा ठीक नहीं है। इन सभी छोटी बड़ी कंपनियों में काम कर रहे मजदूरों कर्मचारियों की देखभाल करने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर लगभग सभी जिलों में एक अच्छी फौज तैनात मुकर्रर किया है।
नवसारी जिला औद्योगिक स्वास्थ्य विभाग में सूचना अधिकार अधिनियम से पता चला है कि यहां सिर्फ और सिर्फ अधिकारी गण सभी काम फाइलों में ही अक्सर किया करते हैं। जमीन पर जाकर फैक्ट्रीयों में जांच करना यहां गुनाह समझा जाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ हो या लघुत्तम मासिक वेतन धारा १९४८ , कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम १९४८ हो या सेवा का अधिकार अधिनियम २०१३ यहां मुख्य अधिकारी श्री को पता नहीं है। और सरकार है कि ऐसे अधिकारियों के साथ सर्वांगीण विकास समृद्धि पारदर्शिता का दावा करती है। सरकार में मंत्रीयो को बदलने से पहले ऐसे अधिकारियों को बदलना चाहिए जो सरकार को बदनाम कर रहे हैं। शायद ऐसे अधिकारियों को पता नहीं है कि गुजरात सरकार के पास नोट छापने वाली मशीन नहीं है।उनको यह राजाशाही वेतन और सुविधाएं इन्ही आदिवासियों मजूरों दलितों आर्थिक पिछड़े वंचित शोषित पीड़ित के रात दिन मेहनत मशक्कत की खून पसीने की कमाई का है। नवसारी जिला हो वलसाड ,सूरत हो या तापी आते दिन बहुमंजिला निर्माणाधीन इमारतों से गिरकर नागरिकों की मौत का समाचार अक्सर सुनने को मिलता है। ऐसी सभी मौतों की जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ इसी विभाग की होती है। क्योंकि सेफ्टी और स्वास्थ्य की देखभाल इन्हीं आरक्षण सेटिंग डोंट कोम से नियुक्त अधिकारियों की होती है। और आर टी आई से मिली जानकारी के अनुसार इस विभाग के अधिकारियों को पहले से ही सभी पता होता है। और सदर विभाग के अधिकारी जाते भी हैं परन्तु क्यों नहीं जांच करते इसे लिखना असंभव भले हो परन्तु समझना मुश्किल नहीं है। नवसारी जिले में ऐसी अनेकों घटनाएं हुई जिसमें बेगुनाह मजूर मारे गए। जांच पर पता चला कि इन बहुमंजिला निर्माणाधीन इमारतों में सुरक्षा के कोई साधन उपलब्ध नहीं थे। और इसका पूरा फायदा यहां भवन निर्माता और अधिकारी मिलजुल कर उठाते हैं। हालांकि ऐसे अधिकारियों को दोषी मानकर मौत का मुकदमा दर्ज कर केस चलाने की अर्जी भी दिए जाने की चर्चा है। सरकार ऐसे अधिकारियों से कब तक बदनाम होती रहेगी यह समय चक्र के अधीन है।
Good 👍
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