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Friday, March 13, 2020

जीवन का रहस्य क्या है? मैं कौन हूँ ? यहाँ क्यों आया हूं ? इस विश्व सत्ता के बारे में यहाँ कौन जानता है ?


जीवन का रहस्य क्या है? मैं कौन हूँ ? यहाँ क्यों आया हूं ? इस विश्व सत्ता के बारे में यहाँ कौन जानता है ? 
    आज सदियों से भारत देश में यदि सबसे बड़ी और जटिल समस्या जो कि इसकी अब  कोई जरूरत फिलहाल आमतौर पर नही हैं। वह है धर्म और ज्ञान। आज हमारा धर्म और ज्ञान बाकी सभी धर्मो से बड़ा है। और इसकी रक्षा करना हमारा परम कर्तव्य है। इसी मकसद से आज सदियों से बड़ी गहरे तल से खून खराबे हिंसा आग जनी हत्याए हो रही हैं। हिंदू मुस्लिम शिख ईसाई पारसी जैन वगैरह आज सभी लड़ रहे हैं। आइये इस परम रहस्य के बारे में कुछ समझने की कोशिश करते हैं। और याद रहे जब आप यह पढ़ रहे है शायद आपको ऐसा ही लगेगा कि यह सिर्फ आपके लिए है। वह भी सही है कि इसलिए कि जो मेरे भीतर से लिखवा रहा है वही आपके भीतर सुन रहा है।यह सिर्फ मानव जाति के लिए है । आज के सभी तथाकथित धार्मिक गुरूओं से यह कुछ सवाल अपने भीतर अपने आप से पूछना जरूरी है। कि इस विश्व सत्ता के बारे में क्या जानते हैं? यह श्वास क्यों चलती है ? और रुक क्यों जाती है ? क्या जानते है कि यह धरती पेड़ पौधे वृक्ष नदी पहाड़ बादल वरसात गर्मी सर्दी क्यों है। दिल की धडकनों के बारे में क्या जानते है? क्या है यह जीवन? क्यो हो जाती है मृत्यु ? आप बड़े कैसे और बृद्ध क्यों हो जाते हो ? क्या है इस जीवन का रहष्य ? इन करोड़ों योनियों का रहस्य क्या है ? अचानक बीमारी आने का रहस्य क्या है? ऐसे लाखो करोड़ों सवाल है जिनके बारे में जानना अलग वह स्वयं के बारे में क्या जानते हैं ? आज जितनी लड़ाई ए तथाकथित धर्म गुरूओं ने करवाई है । इनके अलावा इतनी और किसी वजह से नही हुई। और हद तब हो जाती है कि यह सभी अपने अलावा और किसी भी धर्म को मानने को तैयार भी नही हैं। और हालत इतनी बिगड़ चुकी है कि अब एक एक धर्म करोड़ो करोड़ो टुकड़े हो रहे हैं। दुनिया में करीबन 300 धर्म और उनके हजारों संप्रदाय हो चुके हैं। और प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। और यह सभी अपने स्वयं के बारे में तो जानते नही । औरो को भी मौक्ष स्वर्ग जन्नत के बारे में ईश्वर के बारे में सबसे ज्यादा बताते नही थकते। कैसा अद्भूत ज्ञान है। हवा पानी के बारे में कुछ जानते नहीं ब्रह्मांड की बाते करते हैं। और आज के इन तथाकथित धर्म गुरुओं की हालात इनकी सत्यता के बारे में लिखने का कोई शब्द भी नही है। परमात्मा की बाते और खुद को परमात्मा बताने वाले लगभग सभी एक ही जगह देखे जा रहे हैं। 
आज तक जिसकी खोज की जा रही है ।परंतु हम उसे प्राप्त नही कर पाये। शायद कहीं कुछ चूक हो रही है। हम उसे धर्मों में किताबो में चांद सितारों में धार्मिक स्थलों में कहां कहां ढूढ़ रहे हैं। और मृग मरीचिका की तरह ऐसा प्रतीत होता है कि अब मिल ही जायेगा। और कुछ समय के अंतराल पर लगता है कि हमारे पास नही है। परंतु हम जिन्हें मिला है यदि उनकी बात माने कि कहीं जाने की जरूरत ही नही । वह आपके अंदर ही वह विद्यमान है। आपको पहले यह तो जानो कि खोया कब ? और यह किसी के पास सवाल नही है। कि कब खोया? कहां खोया? और अब किसे ढूंढ़ रहे हो? और हम सभी सदियों से ढूंढ़ रहे हैं। और अब जब कि हमारे पास कोई पता नही है।न ही यह मालुम है कि जिसे ढूंढने निकले हैं यदि हमे मिल भी जाये हम पहचान कैसे पाये पायेंगे। फिर भी यदि हम सदियों से जन्मो जन्म से ढूंढते रहे फिर शायद यह बेवकूफी होगी। आइये हम सभी जिन्हें मिला है उस रास्ते पर चलकर देखे। भगवान बुद्ध महावीर कृष्ण जीसस मीरा सहजो सूरदास  आदि सभी हमें एक ही तरफ इशारा कर रहे हैं। वह अपने ही भीतर जाने का संकेत दे रहे हैं। और कबीर रहीम तुलसी भी उसे संगीत से पिरोया है। आइये इस रास्ते की दिशा में विचार कर देखे।कुछ कदम चले । आइये आपका स्वागत है। 
 कहीं भी कभी भी आपको कुछ बाधा मिले अथवा  ऐसा लगे कि आप को मेरी जरूरत है। अवश्य संपर्क करें।
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